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Kalsarp Puja Trimbakeshwar Nashik Pandit Deepak Shastri Ji Mobile No.
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अमावस्या दोष शांती
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अमावस्या दोष शांती
अमावस्या दोष शांती
चतुर्दशी दोष शांती
प्रतिपदा जन्म शांती
योग :
त्रिक प्रसूति :
तिन पुत्रों के बाद कन्या या तिन कन्याओं के बाद पुत्र होना| शांती करना आवश्यक है|
रुदंत जन्म :
दातों के साथ जन्म होना या २,३,४,५,६ या ८ वे मास में दातं आना| इसके लिए रुदंत जनन शांती आवश्यक है|
विपरीत जन्म :
चित्रविचित्र अवयवों के साथ जन्म होना| प्रसव वैकृत शांती आवश्यक है|
ग्रहण शांती:
ग्रहणपर्व काल में जन्म होना| गोमुख प्रसव शांती , ग्रहमखा के साथ आवश्यक है|
ग्रहण वेध:
वेधकाल में जन्म होना| रुद्राभिषेक आवश्यक है|
सूर्यसंक्रांति(संक्रमण):
नवग्रहों के साथ गोमुख प्रसव शांती ,संक्रमण काल संक्रांति के पहले और बाद के ६ घंटो का होता है|
करिदीन:
ग्रहण करिदिन, कर्क मकर संक्रांत, भाऊका अमावस्या , हुताशनि पौर्णिमा का करिदिन, प्रेत दहन का २रा दिन होना| रुद्राभिषेक आवश्यक है|
एक नक्षत्र :
कन्या या पुत्र का माता या पिता के नक्षत्र में जन्म होना या बेहेन - भाई का एकही नक्षत्र होना| एक नक्षत्र शांती आवश्यक है|
पंचग्रही:
जन्म के समय पांच या अधिक ग्रह एकही राशीमें होना|शांती आवश्यक है|
पूजा विधि
कालसर्प शांती
तिथी दोष पूजा
नक्षत्र दोष पूजा
योग दोष पूजा
करण दोष पूजा
नवग्रह दोष पूजा
वास्तू शांती
नवचंडी
विवाह विधि
नामकरण पूजा
सत्यनारायण पूजा
जोतिष
महामृत्युंजय मंत्र
शनी महादशा व साडे साती
राहू महादशा
केतू महादशा